hi_psa_tn/99/01.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामान्‍य जानकारी:",
"body": "इब्रानी कविता में समानांतरता आम है।"
},
{
"title": "देश-देश के लोग डोल उठे!",
"body": "“सब जातियो के लोग”"
},
{
"title": "काँप उठें!",
"body": "“ड़र से काँपना”"
},
{
"title": "वह करूबों पर विराजमान है; ",
"body": "“लेखक ऐसा बोलता है जैसे कि भवन में वाचा के सन्दूक के ढक्कन पर करूबो के ऊपर सिंहासन पर यहोवा विराजमान है। "
},
{
"title": "डोल उठे",
"body": "“हिल गये”"
},
{
"title": "यहोवा सिय्योन में महान है; और वह देश-देश के लोगों के ऊपर प्रधान है। ",
"body": "“यहोवा सिरफ सिय्यो‍न में ही महान नही है, उसकी महिमा सब देशो में सबसे ऊँची है”"
},
{
"title": "वह देश-देश के लोगों के ऊपर प्रधान है।",
"body": "“सब जातीयो में लोग उसकी प्रशन्‍सा महानता से करते हैं” "
},
{
"title": "वे तेरे महान और भययोग्य नाम का धन्यवाद करें! ",
"body": "यहाँ लेखक परमेश्‍वर के बारे में बोलने से, परमेश्‍वर से बात करने में बदल गया है। हालांकि इस वाक्यांश के बाद, वह परमेश्‍वर के बारे में बोलने के लिए वापस शुरु कर देता है।"
}
]