hi_psa_tn/84/01.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामान्य जानकारी ",
"body": "इब्रानी कविताओं में समानता सामान्य बात है"
},
{
"title": "क्या ही प्रिय हैं",
"body": "“कितना सुन्दर है“ "
},
{
"title": "मेरा प्राण यहोवा के आँगनों की अभिलाषा करते-करते ",
"body": "मैं यहोवा के आँगनों में होना चाहता हूँ"
},
{
"title": "यहोवा के आँगनों ",
"body": "यहोवा का भवन "
},
{
"title": "अभिलाषा करते-करते मूर्छित हो चला",
"body": "मैं इतना चाहता हूँ कि थक गया हूँ "
},
{
"title": "मेरा तन मन दोनों* जीविते परमेश्‍वर को पुकार रहे।",
"body": "मैंने अपने पूरे व्यक्तित्व से पुकारा है"
},
{
"title": "जीविते परमेश्‍वर",
"body": "परमेश्‍वर जो जीवित हैं और उसमें जीवन देने की ताकत है"
}
]