hi_psa_tn/71/23.txt

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Plaintext

[
{
"title": "तब अपने मुँह से",
"body": "“मैं खुशी से पुकारूँगा“"
},
{
"title": "अपने प्राण से भी जो तूने बचा लिया है",
"body": "और मेरा प्राण जिसे तूने बचाया है, तेरी स्तुति करेगा"
},
{
"title": "अपने प्राण ",
"body": "प्राण का अर्थ पूरा व्यक्ति है"
},
{
"title": "तब अपने मुँह से",
"body": "“मैं भी बोलूँगा”"
},
{
"title": "क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, वे लज्जित और अपमानित हुए",
"body": "जो लोग मेरा नुकसान करना चाहते थे वे शर्मिन्दा होकर उलझन में पड़े हैं"
},
{
"title": "वे लज्जित और अपमानित हुए",
"body": "परमेश्वर ने उन्हे शर्मिन्दा करके उलझन में डाला है"
},
{
"title": "जो मेरी हानि के अभिलाषी थे",
"body": "जो मेरा नुकसान करना चाहते हैं"
}
]