hi_psa_tn/69/13.txt

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Plaintext

[
{
"title": "तेरी प्रसन्नता के समय में हो रही है",
"body": "जब तुम्हारी इच्छा होगी "
},
{
"title": "अपनी सच्ची प्रतिज्ञा के अनुसार मेरी सुन ले",
"body": "मुझे बचा लो क्योंकि तुम अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझे प्यार करते हो"
},
{
"title": "मुझ को दलदल में से उबार, कि मैं धँस न जाऊँ",
"body": "इन दोनों वाक्यों का एक समान अर्थ है"
},
{
"title": "मैं अपने बैरियों से, और गहरे जल में से बच जाऊँ",
"body": "मुझे बचा ले"
},
{
"title": "बच जाऊँ",
"body": "कृप्या मेरा बचाव करो"
},
{
"title": "गहरे जल …धारा…पाताल ",
"body": "इन सब का एक ही अर्थ है"
},
{
"title": "गहरे जल में से बच जाऊँ",
"body": "लेखक ऐसे बात कर रहा है जैसे उसके दुश्मन उसे पानी में डुबो रहे थे"
},
{
"title": "मैं धारा में ",
"body": "जल की धारा ने मुझे ढाँप लिया है"
},
{
"title": "मैं गहरे जल में डूब मरूँ",
"body": "गहरा जल मुझे खतरनाक जानवर के जैसे खाना चाहता है"
},
{
"title": "न पाताल का मुँह मेरे ऊपर बन्द हो",
"body": "मौत का गड्डा मुझ पर बन्द न हो जाए"
}
]