hi_psa_tn/58/03.txt

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Plaintext

[
{
"title": "दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं... वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं। ",
"body": "यहाँ एक ही विचार को दो अलग-अलग तरह से प्रकट किया गया है।"
},
{
"title": "भटक जाते हैं।",
"body": "“वह गलत काम करते है”"
},
{
"title": "उनमें सर्प का सा विष है;",
"body": "“उनके दुष्ट वचन सर्प के विष के समान लोगो को नुकसान पहुचाते है”"
},
{
"title": "वे उस नाग के समान है, जो सुनना नहीं चाहता",
"body": "“वह बोले सांप के समान सुनना नही चाहते जिसने अपने कान बंद कर लिए है“"
},
{
"title": "नाग , जो सुनना नहीं चाहता",
"body": "“एक सर्प जिसको सुनता नही है”"
},
{
"title": "नाग",
"body": "“एक तरह का जहरीला सांप“"
},
{
"title": "सपेरा ",
"body": "“सांप को वष में करने के लिए संगीत बजाने वाले लोग”"
},
{
"title": "कितनी ही निपुणता से क्यों न मंत्र पढ़े",
"body": "”यह माइने नहीं रखता कि सपेरा कितना माहिर है”"
}
]