hi_psa_tn/58/01.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामन्‍य जानकारी",
"body": "इब्रानी कविता में समानांतरता आम है।"
},
{
"title": "क्या तुम सचमुच धार्मिकता की बात बोलते हो?",
"body": "“तुम जो हाकम हो सच्‍चाई को नही बताते”"
},
{
"title": "तुम... तुम ",
"body": " “यहा पर “तुम” बहुवचन है, यह न्‍यायइयो को दर्शाता है”"
},
{
"title": " क्या तुम सिधाई से न्याय करते हो?",
"body": "“तुम लोग लोगो का न्‍याय सिधाई के साथ नही करते हो“"
},
{
"title": "नहीं",
"body": "लेखक ने दो प्रशनों का उतर दिया है जो अबी पूछे गये थे।"
},
{
"title": "तुम मन ही मन में कुटिल काम करते हो",
"body": "\"तुम अपने विचारों में दुष्टता करते हो\" या \"तुम दुष्ट काम करने के बारे में सोचते हो\""
},
{
"title": "तुम देश भर में उपद्रव करते जाते हो। ",
"body": "“तुम अपने आप धरती पे हर जगा हिंसक काम करते हो”"
}
]