hi_psa_tn/51/07.txt

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Plaintext

[
{
"title": "मुझे शुद्ध कर...मैं पवित्र हो जाऊँगा;....मुझे धो....मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा",
"body": "परमेश्‍वर के लिए स्वीकार्य होने के नाते साफ या सफेद होने की बात की जाती है। परमेश्वर लोगों को उनके पापों को क्षमा करके स्वीकार्य बनाता है।"
},
{
"title": "जूफा से मुझे शुद्ध कर।",
"body": "“मेरे सब पापो को माफ कर दे कि तूँ मुझे स्‍वीकार कर सकें”"
},
{
"title": "जूफा।",
"body": "यह एक पौधा है जो कि याजक इसका इसतेमाल पर्व के अनुसार शुद्ध करने के लिए लोगों या चीजों पर पानी या खून छिड़कने के लिए करते है, जिसको परमेश्‍वर स्वीकार करता था।"
},
{
"title": "हिम से भी अधिक श्वेत",
"body": "“बहुत, बहुत जयादा सफेद”"
},
{
"title": "हर्ष और आनन्द ",
"body": "इस दोनों शब्‍दों का समान रुप में एक ही अर्थ है और उसकी आनन्‍दमई चीजो को सुनने के इच्‍छा पर जोर देता है”"
},
{
"title": "जिससे जो हड्डियाँ तूने तोड़ डाली हैं, वे \\q मगन हो जाएँ। ",
"body": "“तूने मेरी अंतर आत्मा को भारी ऊदासी दी है, मुझे फिर से मगन होने दे”"
},
{
"title": "अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, ",
"body": "\"मेरे पापों को मत देखो\" या \"मेरे पापों को याद मत करो\""
},
{
"title": "मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।",
"body": "“मेरे पापो को माफ कर दे जैसे कोई पापो का लेखा मिटा देता है”"
}
]