hi_psa_tn/40/05.txt

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Plaintext

[
{
"title": "जो विचार तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं।",
"body": "“हमारे विषय में तुम्हा‍रे विचारों की गिनती कोई भी नही कर सकता”"
},
{
"title": " वह बहुत सी हैं;..... उनकी गिनती नहीं हो सकती।",
"body": "इन वाक्यांशों का अर्थ अनिवार्य रूप से एक ही बात से है। पहले को नकारात्मक रूप में और दूसरे को सकारात्मक रूप में बताया गया है।"
},
{
"title": "मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्‍न नहीं होता।",
"body": "“बलीदान और भेटों से तू प्रसन्‍न नही होता”"
},
{
"title": " तूने मेरे कान खोदकर खोले हैं।",
"body": "“तूने मुझे तेरे हुकमों को सुनने के काबिल बनाया है”"
},
{
"title": "होमबलि और पापबलि तूने नहीं चाहा।",
"body": "\"हमारे पापों के लिए वेदी पर चढ़ाए गए जानवर और अन्य चढ़ावा नहीं हैं जो आपको सबसे ज्यादा चाहिए\""
}
]