hi_psa_tn/35/24.txt

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Plaintext

[
{
"title": " उन्हें मेरे विरुद्ध आनन्द करने न दे!",
"body": "“मेरे पीड़ित होने पर उनको आनंदित मत होने देना”"
},
{
"title": "वे मन में न कहने पाएँ।",
"body": "“उपने आप को कहें”"
},
{
"title": "“आहा! ",
"body": "यह हैरान कर देने वाला शब्‍द है जो कि तब इस्ते‍माल किया जाता है जब कोई अचानक कुछ देख लेता है जा समझ लेता है। यह बयान के पीछे जाने पर जोर देता है। “हाँ”"
},
{
"title": "हमारी तो इच्छा पूरी हुई!” ",
"body": "“उसको दोशी ठहराया गया जैसी हमने इच्‍छा की थी”"
},
{
"title": "“हम उसे निगल गए हैं।”",
"body": "“हमने उसका नाश कर दिया”"
},
{
"title": "अनादर।",
"body": "“अपमान”"
},
{
"title": "जो मेरे विरुद्ध बड़ाई मारते हैं* वह लज्जा और अनादर से ढँप जाएँ!",
"body": "“जो मेरे विरुध बुराई करते है, तूँ उनको लज्‍जा और अनादर से ढाँप दे”"
},
{
"title": " विरुद्ध बड़ाई।",
"body": "किसी को गुस्‍सा दिलाने के लिए उसकी बेजती करनी।"
},
{
"title": "वह लज्जा और अनादर से ढँप जाएँ!",
"body": "“लज्‍जा और अनादर”"
},
{
"title": " लज्जा और अनादर ",
"body": "“इन दोनो शब्‍दो का एक ही अर्थ है यह दिखाने के लिए कि वह कितने अपमानित है”"
}
]