hi_psa_tn/19/04.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामान्य जानकारी:",
"body": "दाऊद बताता है कि रचना परमेश्‍वर की महिमा करती है।"
},
{
"title": "उनका स्वर…गूँज गया",
"body": "यह परमेश्वर की रचना के ”खामोश“ शब्दों से उसकी महिमा बताते हैं। "
},
{
"title": "उनका वचन पहुँच गया",
"body": "यह शब्द लोगों के बाहर जाने का संदेश देरे है कि “परमेश्‍वर की रचना के शब्द वहा तक पहुँच गये है”।"
},
{
"title": "और उनका वचन जगत की छोर तक पहुँच गया है",
"body": "इन शब्दो को इस प्रकार स्पष्ट किया जाता है कि “उनका भाषण दुनिया स४ऎ बाहर तक चला जाएगा”।"
},
{
"title": "उनमें उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है",
"body": "उसने सुर्य की रचना एक स्थान पर की।"
},
{
"title": "उनमें उसने ",
"body": "यह शब्द “वे” आकाश को दर्शाता है।"
},
{
"title": "जो दुल्हे के समान अपने कक्ष से निकलता है",
"body": "लेखक सुर्य के आने की दर्ष्टि को दर्शाता है। कि “सुर्य के आन्द के साथ आने की दर्ष्टि को दर्शाता है“।"
},
{
"title": " वह शूरवीर के समान अपनी दौड़ दौड़ने में हर्षित होता है",
"body": "यह सूर्य की रोशनी को दर्शाता है।"
},
{
"title": "छोर ",
"body": "वह छोर है यहाँ पृथवी और आकाश को मिला देता है।"
},
{
"title": "शूरवीर",
"body": "“तेज दोड़ने वाला”।"
},
{
"title": "उसकी दूसरी",
"body": "यह स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि यहाँ “दूसरी” छोर को दर्शाता है। “दूसरे छोर तक”।"
},
{
"title": "उसकी गर्मी से कोई नहीं बच पाता",
"body": "यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि “हर कोई उसकी गर्मी महसूस करता है”"
}
]