hi_psa_tn/119/05.txt

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Plaintext

[
{
"title": "मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए",
"body": "लेखक परमेश्‍वर की आज्ञाओं में ऐसे दृढ़ होने की बात करता है कि कोई भी उसे हिला ना सके"
},
{
"title": " तेरी विधियों को मानने के लिये ",
"body": "तुम्हारी विधियों का आज्ञाकारिता के लिए"
},
{
"title": " मैं लज्जित न हूँगा",
"body": "लेखक परमेश्‍वर की मौजूदगी में लज्जित नहीं होना चाहता "
},
{
"title": "तेरी सब आज्ञाओं ",
"body": "वह सब जिसकी तूने आज्ञा दी है"
}
]