hi_psa_tn/115/01.txt

30 lines
1.4 KiB
Plaintext

[
{
"title": "सामान्य जानकारी",
"body": "समानता की बातों का तरीका इबरानी कवितायों में आम बात है"
},
{
"title": "हे यहोवा, हमारी नहीं, हमारी नहीं",
"body": "हे यहोवा हमें कोई आदर ना दे"
},
{
"title": "हमारी",
"body": "यहाँ पर हमारी शब्द का अर्थ इस्राएल के लोग हैं "
},
{
"title": "वरन् अपने ही नाम की महिमा ",
"body": "पर अपने आप को आदर दे"
},
{
"title": "अपनी करुणा के निमित्त",
"body": "अपनी करुणा के कारण"
},
{
"title": "जाति-जाति के लोग क्यों कहने पाएँ, “उनका परमेश्‍वर कहाँ रहा?“",
"body": "जाति-जाति के लोग यह ना कहने पाँए कि उनका परमेश्‍वर कहाँ है"
},
{
"title": "उनका परमेश्‍वर कहाँ रहा",
"body": "आपका परमेश्‍वर सहायता के लिए यहाँ नहीं है"
}
]