hi_psa_tn/10/08.txt

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Plaintext

[
{
"title": "वह गाँवों में घात में बैठा करता है",
"body": "यहाँ पर “वह” शब्द दुष्ट मनुष्य को दर्शाता है"
},
{
"title": "गुप्त स्थानों में निर्दोष को घात करता है",
"body": "वह कुछ निर्दोष लोगों का शिकार करता है"
},
{
"title": "वह सिंह के समान झाड़ी में छिपकर घात में बैठाता है",
"body": "वह छिप कर बैठता है और इन्तजार करता है कि कब कोई कमजोर वहाँ से गुजरे, उसी तरह जैसे शेर जानवरों का शिकार करने के लिये घात लगाकर बैठता है।"
},
{
"title": "घात में बैठाता है",
"body": "इसका अर्थ है मारने या नुकसान पहुँचाने की नियत से छिप कर इन्तजार करना"
},
{
"title": "वह…घात लगाता है",
"body": "“वह छिप कर इन्तजार करता है“"
},
{
"title": "वह दीन को जाल में फँसाकर पकड़ लेता है",
"body": "वह शिकारी की तरह दबाए हुए लोगों को जाल में फँसाकर पकड़ लेता है"
},
{
"title": "वह उसके मजबूत जाल में गिर जाते हैं",
"body": "उसके पीड़ित लोग उसकी योजनायों में ऐसे फँस जाते हैं जैसे जानवर शिकारी के जाल में फँस जाते हैं "
}
]