From d35d9920cd081b689252494a9dfccd014386a494 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Wed, 22 Apr 2020 13:45:41 +0530 Subject: [PATCH] Wed Apr 22 2020 13:45:41 GMT+0530 (India Standard Time) --- 43/03.txt | 2 +- 43/05.txt | 2 +- 44/01.txt | 2 +- 44/03.txt | 4 ++-- 44/05.txt | 2 +- manifest.json | 7 +++++++ 6 files changed, 13 insertions(+), 6 deletions(-) diff --git a/43/03.txt b/43/03.txt index e122911f..2819903d 100644 --- a/43/03.txt +++ b/43/03.txt @@ -13,6 +13,6 @@ }, { "title": "परमेश्‍वर के पास जो मेरे अति आनन्द का कुण्ड है;", - "body": "“परमेश्‍वर जो कि मेरी महा खुशी है”" + "body": "“परमेश्‍वर जो कि मेरी महाँ खुशी है”" } ] \ No newline at end of file diff --git a/43/05.txt b/43/05.txt index d46d901f..edc76d35 100644 --- a/43/05.txt +++ b/43/05.txt @@ -1,7 +1,7 @@ [ { "title": "हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है?", - "body": "“मुझे गिरना नही चाहीऐ था, मुझे चिंता नही करनी चाहीए थी”" + "body": "“मुझे गिरना नही चाहिए, मुझे चिंता नही करनी चाहिए ”" }, { "title": " गिरा जाता है", diff --git a/44/01.txt b/44/01.txt index c5007237..2c527649 100644 --- a/44/01.txt +++ b/44/01.txt @@ -21,6 +21,6 @@ }, { "title": "इनको बसाया;", - "body": "“तूने हमारे लोगो को वहाँ रहने दिया।" + "body": "“तूने हमारे लोगों को वहाँ रहने दिया।" } ] \ No newline at end of file diff --git a/44/03.txt b/44/03.txt index fd2131e5..2800e0c6 100644 --- a/44/03.txt +++ b/44/03.txt @@ -13,7 +13,7 @@ }, { "title": "तेरे दाहिने हाथ,तेरी भुजा ", - "body": "“तेरी महाशकती”" + "body": "“तेरी महाँ शक्ति”" }, { "title": " मुख के कारण जयवन्त हुए;", @@ -21,6 +21,6 @@ }, { "title": "याकूब के उद्धार।", - "body": "“इस्राएल के लोग अपने पूरवज “याकूब” के नाम द्वारा दर्शाए गये है”" + "body": "“इस्राएल के लोग अपने पूर्वज “याकूब” के नाम द्वारा दर्शाए गये है”" } ] \ No newline at end of file diff --git a/44/05.txt b/44/05.txt index b4c84f5f..cebd3d11 100644 --- a/44/05.txt +++ b/44/05.txt @@ -5,7 +5,7 @@ }, { "title": "गिरा देंगे....रौंदेंगे", - "body": "लेखक अपने विरोधियो की हार को इस तरह कह रहा है जैसे कि वह “गिरे हुए है” और उनकी जंग की तैयारी जैसे कि वह “खड़े है”।" + "body": "लेखक अपने विरोधियों की हार को इस तरह कह रहा है जैसे कि वह “गिरे हुए है” और उनकी जंग की तैयारी जैसे कि वह “खड़े है”।" }, { "title": "तेरे नाम के।", diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 3c94c810..8f310dde 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -371,6 +371,13 @@ "42-11", "43-title", "43-01", + "43-03", + "43-05", + "44-title", + "44-01", + "44-03", + "44-05", + "44-07", "46-title", "46-01", "46-04",