From 9ade80f3faa02df9c6ec7caf38a886103651144d Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Wed, 22 Apr 2020 13:51:41 +0530 Subject: [PATCH] Wed Apr 22 2020 13:51:41 GMT+0530 (India Standard Time) --- 44/23.txt | 2 +- 45/01.txt | 6 +++--- 45/03.txt | 2 +- manifest.json | 6 ++++++ 4 files changed, 11 insertions(+), 5 deletions(-) diff --git a/44/23.txt b/44/23.txt index 6ef77fb8..31d22187 100644 --- a/44/23.txt +++ b/44/23.txt @@ -13,7 +13,7 @@ }, { "title": "अपना मुँह छिपा।", - "body": "“म कर”" + "body": "“मुँह छिपाना नजरअंदाज करना है”" }, { "title": "हमारा दुःख और सताया जाना भूल जाता है", diff --git a/45/01.txt b/45/01.txt index e519eefc..b1fbf756 100644 --- a/45/01.txt +++ b/45/01.txt @@ -1,7 +1,7 @@ [ { "title": "सामान्‍य जानकारी", - "body": "इब्रानी कविता में समानांतरता आम है।" + "body": "इब्रानी कविताओं में समानांतरता आम है।" }, { "title": "मेरा हृदय एक सुन्दर विषय की उमंग से उमड़ रहा है,", @@ -21,10 +21,10 @@ }, { "title": "तू मनुष्य की सन्तानों में परम सुन्दर है; ", - "body": "“तुम किसी और आदमी से कहीं जादा सुन्‍दर हो“" + "body": "“तुम किसी और आदमी से कहीं ज्यादा सुन्‍दर हो“" }, { "title": "तेरे होंठों में अनुग्रह भरा हुआ है; ", - "body": "“यह ऐसे है जैसे कि किसी ने तुम्हा‍रे होठों को तेल से आशिशित कर दिया है”" + "body": "“यह ऐसे है जैसे कि किसी ने तुम्हा‍रे होठों को तेल से आशिषित कर दिया है”" } ] \ No newline at end of file diff --git a/45/03.txt b/45/03.txt index 455ff029..cbf7cbde 100644 --- a/45/03.txt +++ b/45/03.txt @@ -1,7 +1,7 @@ [ { "title": "तू अपनी तलवार कोअपनी कटि पर बाँध", - "body": "“अपने आप को जंग के लिए तैयार करो”" + "body": "“अपने आप को पुद्ध के लिए तैयार करो”" }, { "title": "सफलता से सवार हो।", diff --git a/manifest.json b/manifest.json index ca2cc168..f6d3fe36 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -382,6 +382,12 @@ "44-12", "44-15", "44-18", + "44-23", + "44-25", + "45-title", + "45-01", + "45-03", + "45-05", "46-title", "46-01", "46-04",