From 60aea3cb4de4499962f458815785159d3da76d9c Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: tsDesktop Date: Wed, 22 Apr 2020 13:43:42 +0530 Subject: [PATCH] Wed Apr 22 2020 13:43:41 GMT+0530 (India Standard Time) --- 42/09.txt | 8 ++++---- 42/11.txt | 4 ++-- 43/01.txt | 4 ++-- manifest.json | 4 ++++ 4 files changed, 12 insertions(+), 8 deletions(-) diff --git a/42/09.txt b/42/09.txt index d34ae595..0e6214c5 100644 --- a/42/09.txt +++ b/42/09.txt @@ -1,7 +1,7 @@ [ { "title": "मैं परमेश्‍वर से जो मेरी चट्टान है कहूँगा,", - "body": "लेखक प्रमेशवर के विषय में कहता है जैसे कि वह एक बहुत बड़ा पहाड़ है जो कि दुसमनो के हमले से सुरक्षा प्रदान करता है।" + "body": "लेखक परमेश्‍वर के विषय में कहता है जैसे कि वह एक बहुत बड़ा पहाड़ है जो कि दुश्मनों के हमले से सुरक्षा प्रदान करता है।" }, { "title": "मैं क्यों शोक का पहरावा पहने हुए चलता-फिरता हूँ?", @@ -9,14 +9,14 @@ }, { "title": "मेरी हड्डियाँ मानो कटार से छिदी जाती हैं", - "body": "लेखक अपने विरोधीयो की निंदा को इस तरह प्रकट करता है जैसे कि वह घातक जखमो को ले रहा है।" + "body": "लेखक अपने विरोधीयों की निंदा को इस तरह प्रकट करता है जैसे कि वह घातक जख्मों को ले रहा है।" }, { "title": "वे दिन भर मुझसे कहते रहते हैं", - "body": "“उसके विरोधी उसको लगातार नही परंतू अकसर कहते रहते है”" + "body": "“उसके विरोधी उसको लगातार नहीं परँतू अकसर कहते रहते है”" }, { "title": " तेरा परमेश्‍वर कहाँ है?", - "body": "“यहा तुमहारा प्रमेशवर मदद के लिऐ नही है”" + "body": "“यहा तुम्हारा परमेश्‍वर मदद के लिऐ नही है”" } ] \ No newline at end of file diff --git a/42/11.txt b/42/11.txt index c35aef12..bc9ae2d8 100644 --- a/42/11.txt +++ b/42/11.txt @@ -1,7 +1,7 @@ [ { "title": "हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? ", - "body": "“मुझे गिरना नही चाहीऐ था, मुझे चिंता नही करनी चाहीए थी”" + "body": "“मुझे गिरना नही चाहीए, मुझे चिंता नही करनी चाहीए ”" }, { "title": " गिरा जाता है", @@ -9,6 +9,6 @@ }, { "title": " परमेश्‍वर पर भरोसा रख", - "body": "लेखक अपने प्राणो को प्रमेशवर पर भरोसा रखने को लगातार कहता और हुकम देता रहता है।" + "body": "लेखक अपने प्राणो को परमेश्‍वर पर भरोसा रखने को लगातार कहता और हुक्म देता रहता है।" } ] \ No newline at end of file diff --git a/43/01.txt b/43/01.txt index 08da0e8c..8dfba6a1 100644 --- a/43/01.txt +++ b/43/01.txt @@ -9,7 +9,7 @@ }, { "title": "तूने क्यों मुझे त्याग दिया है? मैं शत्रु के अत्याचार के मारे शोक का पहरावा पहने हुए क्यों फिरता रहूँ? ", - "body": "परमेश्‍वर से शिकायत करने के लिए लेखक यह प्रशन पूछता है और अपनी भावनाओ को प्रकट करता है, उतर प्रयाप्त करने को नही।" + "body": "परमेश्‍वर से शिकायत करने के लिए लेखक यह प्रशन पूछता है और अपनी भावनाओं को प्रकट करता है, उतर प्राप्त करने को नहीं।" }, { "title": " मैं शोक का पहरावा पहने हुए क्यों फिरता रहूँ?", @@ -17,6 +17,6 @@ }, { "title": "शत्रु के अत्याचार के मारे ", - "body": "“क्‍योकि मेरे विरोधी मुझ पर अत्‍याचार करते है”" + "body": "“क्‍योंकि मेरे विरोधी मुझ पर अत्‍याचार करते है”" } ] \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index a0102b6d..3c94c810 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -367,6 +367,10 @@ "42-03", "42-05", "42-07", + "42-09", + "42-11", + "43-title", + "43-01", "46-title", "46-01", "46-04",