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10
33/04.txt
10
33/04.txt
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@ -5,22 +5,22 @@
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},
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"title": "यहोवा का वचन सीधा है",
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"body": "“यहोवा हमेशा ”"
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"body": "“यहोवा हमेशाअपने वचनों के अनुसार काम करता है।”"
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},
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{
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"title": "वह धार्मिकता और न्याय से प्रीति रखता है;",
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"body": "“वह धर्म और न्याय करने वालो से प्रेम करता है”"
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"body": "“वह धर्म और न्याय करने वालों से प्रेम करता है”"
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},
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{
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"title": "यहोवा की करुणा से पृथ्वी भरपूर है।",
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"body": "“यहोवा की करुना का अनुभव पूरै संसार के उपर किया जा सकता है”"
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"body": "“यहोवा की करुना का अनुभव पूरे संसार के उपर किया जा सकता है”"
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},
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{
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"title": "आकाशमण्डल यहोवा के वचन से बने।",
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"body": "“अपने शब्दो के उप्यौग से यहोवा ने आकाशमण्डलौ कौ बनाया”"
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"body": "“अपने शब्दों के उपयोग से यहोवा ने आकाशमण्डलों को बनाया”"
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},
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{
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"title": "उसके सारे गण उसके मुँह की \\q श्वास से बने।",
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"body": "“यहा पर “श्वास” यहौवा के शब्दो को दरशाता है। “उसके वचन के द्वारा”"
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"body": "“यहा पर “श्वास” यहोवा के शब्दो को दरशाता है। “उसके वचन के द्वारा”"
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}
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]
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@ -1,7 +1,7 @@
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[
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{
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"title": "सामन्य जानकारी",
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"body": "हर ऐक छंद बना होता है जिनके अर्थ बहुत समान होते है।"
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"body": "प्रत्येक वचन में दो बना होता है जिनके अर्थ बहुत समान होते है।"
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},
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{
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"title": " ढेर के समान",
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@ -273,6 +273,7 @@
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"32-09",
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"32-11",
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"33-01",
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"33-04",
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"36-title",
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"38-09",
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"38-11",
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