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78/23.txt
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@ -9,22 +9,22 @@
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},
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"title": "स्वर्ग के द्वारों को खोला",
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"body": "आकाश को ऐसे खोला जैसे यह चीजें जमा क"
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"body": "आकाश को ऐसे खोला जैसे यह चीजें जमा करके रखने का कमरा हो"
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},
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"title": "उनके लिये खाने को मन्ना बरसाया, और उन्हें स्वर्ग का अन्न दिया",
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"body": ""
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"body": "ये दोनों वाक्य एक ही घटना की बात करते हैं "
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},
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"title": "उनके लिये खाने को मन्ना बरसाया",
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"body": ""
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"body": "उसने आकाश से बारिश के जैसे मन्ना बरसाया "
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},
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"title": "मनुष्यों को स्वर्गदूतों की रोटी मिली",
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"body": ""
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"body": "वो रोटी जो स्वर्गदूत खाते हैं "
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},
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{
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"title": "मनमाना भोजन दिया",
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"body": ""
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"body": "बहुत ज्यादा भोजन "
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}
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