hi_pro_tn/27/07.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सन्तुष्ट होने पर ",
"body": "“एक व्यक्ति जो सन्तुष्ट है”।"
},
{
"title": "मधु का छत्ता भी फीका लगता है",
"body": "एक मधुकोश आम तौर पर वांछनीय होगा, लेकिन उस व्यक्ति के लिए नहीं जो सन्तुष्ट होने के पहले से ही खा चुका है।"
},
{
"title": "सब कड़वी वस्तुएँ भी मीठी जान पड़ती हैं",
"body": "“सब कुछ है जिसका स्वाद मीठा है”।"
},
{
"title": "स्थान छोड़कर घूमनेवाला मनुष्य उस चिड़िया के समान है, \\q जो घोंसला छोड़कर उड़ती फिरती है।",
"body": "“भटकते” और “भटकते” शब्द का अर्थ इस आयत में एकि ही है।"
}
]