hi_pro_tn/24/15.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामनय जानकारी",
"body": "आयत 30 में नीतिवचन की किताब के एक नए भाग का परिचय शुरू किया गया है।(22:20)"
},
{
"title": "घात में न बैठ",
"body": "“छुपाएँ और सही समय के लिए प्रतिक्ष करीऐ”।(1:10)"
},
{
"title": "उसके विश्रामस्थान",
"body": "धर्मी व्यक्ति का घर।"
},
{
"title": "उठ",
"body": "“खड़ा”।"
},
{
"title": "दुष्ट लोग विपत्ति में गिरकर पड़े ही रहते हैं।",
"body": "लेखक कहता है जैसे कि “विपत्ति” एक व्यक्ति हे जो अन्य लोगों के लिए बुरी बाते कर सकती है। इन शब्दों में स्पष्ट रूप में कहा जा सकता है कि “परमेश्‍वर दुष्ट लोगों को नीचे लाने के लिए विपत्ति का इस्तेम़अल करेगा”।"
},
{
"title": "गिरकर पड़े ही रहते हैं",
"body": "एक व्यक्ति जो खड़ा था, लेकिन किसी ने उसे नीचे गिरा देया।"
},
{
"title": "विपत्ति",
"body": "उस समय जब लोगों को और उनकी संपत्ति के लिए बुरी चीजें होती है।"
}
]