hi_pro_tn/23/34.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामानय जानकारी",
"body": "आयत 30 में नीतिवचन की किताब के एक नए भाग का परिचय शुरू किया गया है।(22:20)"
},
{
"title": "मस्तूल",
"body": "लंबे लकड़ी के खंभे, जो एक पाल नौकायन जहाज से जुड़े हैं।"
},
{
"title": "मस्तूल के सिरे पर सोनेवाले के समान रहेगा। ",
"body": "मस्तूल के सिरे के पास टोकरी में लेट जाता है।"
},
{
"title": "मैंने मार तो खाई… परन्तु दु:खित न हो। मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी",
"body": "क्योंकि नशे में व्यक्ति स्पष्ट रूप से नहीं सोच रहा है, वह कल्पना कर रहा है कि लोग उसे मार रहे हैं और मार रहे हैं, फिर भी उसे कोई दर्द महसूस नहीं होता और कुछ भी याद नहीं कर रहता।"
},
{
"title": "मैं होश में कब आऊँ?",
"body": "शराबी व्यक्ति सोच रहा है कि वह फिर से शांत कब होगा; जब शराब का प्रभाव बंद हो जाएगा।"
}
]