hi_pro_tn/19/11.txt

26 lines
1.4 KiB
Plaintext

[
{
"title": "जो मनुष्य बुद्धि से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है",
"body": "“एक व्यक्ति जिस के पास विवेकी है, गुस्से में धीमा है"
},
{
"title": "विवेक",
"body": "ये जानते हुए भी कि किसी विशेष स्थिति में क्या किया जाना चाहिए।(1:4)"
},
{
"title": "उसको शोभा देता है",
"body": "“यह उसकीमहिमा को नजरंदाज कर देगा”।"
},
{
"title": "भुलाना ",
"body": "उद्देश्य को भूल जाना।"
},
{
"title": "राजा का क्रोध सिंह की गर्जन के समान है,",
"body": "राजा का क्रोध एक युवा शेर के हमले जितना खतरनाक है।"
},
{
"title": "परन्तु उसकी प्रसन्नता घास पर की ओस के तुल्य होती है।",
"body": "राजा की तुलना में ताज़ा पानी है जो कि सुबह में घास पर प्रकट होता है।"
}
]