hi_num_tn/09/13.txt

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Plaintext

[
{
"title": "जो मनुष्य शुद्ध हो ",
"body": "जो इंसान परमेश्‍वर को आध्यात्मिक रूप से स्वीकार्य समझता है, वह इस तरह की बात करता है मानो वह व्यक्ति शारीरिक रूप से शुद्ध हो। "
},
{
"title": "फसह के पर्व को",
"body": "यह शब्‍द “रखना” का अर्थ है पालन करना जैसे “फसह का जक्ष्‍न मनाना”।"
},
{
"title": "वह मनुष्य अपने लोगों में से नाश किया जाए",
"body": "यह वाक्‍यांश “नाश करना”का अर्थ है कि इनकार करना और दूर भेजना जैसे कि “उस व्यक्ति को दूर भेजा जाना चाहिए“।"
},
{
"title": "नियत ",
"body": "“स्‍थिर“।"
},
{
"title": "अपने पाप का बोझ उठाना पड़ेगा",
"body": "यहाँ पुरोषों को उसके पप के परिणाम भुगतने की अवधारणा के बारे मेम बताया है जैसे कि उसके पाप एक भारी वस्‍तु है जो उसे ले जानी है जैसे “उस आदमी को आपने पाप की सजा भुगतनी होगी”।"
},
{
"title": "तुम्हारे साथ रहकर ",
"body": "यहाँ “तुम” इस्राएल के लोगो को दर्शाता है।"
},
{
"title": "उसी विधि और नियम के अनुसार उसको माने",
"body": "“उस अजनबी को इसे रखना चाहिऐ और वह सब करना चाहिए जो यहोवा करता है”।"
},
{
"title": "फसह मनाए, तो वह उसी विधि और नियम के अनुसार उसको माने",
"body": "इन दोनों वाक्‍यों का मतलब एक ही है कि अजनबी को फसह के सारे नियमों का पालन करना चाहिए।"
},
{
"title": "तुम्हारे साथ रहकर ",
"body": "इस्राएल की भूमि में"
}
]