hi_num_tn/06/13.txt

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Plaintext

[
{
"title": "अलग रहने के ",
"body": "“कि उसने खुद को अलग कर लिया है”।"
},
{
"title": "पर पहुँचाया जाए",
"body": "स्‍पष्‍ट रुप में कहा जा सकता है कि “किसी को उसे लाना होगा“।"
},
{
"title": "वह यहोवा के लिये होमबलि करके ",
"body": "यह अर्थ स्‍पष्‍ट किया जा सकता है कि पुजारी को आपनी भेट बलिदान कर-कर यहोवा के लिए लेकर जानी चाहिए जैसे कि “पुजारी को भेट यहोवा के पास लानी चाहिए”।"
},
{
"title": "अख़मीरी रोटियों की",
"body": "स्‍पष्‍ट रुप मे कहा जा सकता है कि “बिना खमीर के रोटिया बनाई गई“।"
},
{
"title": "तेल से सने हुए मैदे ",
"body": "स्‍पष्‍ट रुप मे कहा जा सकता है कि “आटा जिस में तेल मिला हुआ था”।"
},
{
"title": "तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी पापड़ियाँ,",
"body": "स्‍पष्‍ट रुप में कहा जा सकता है कि “खमीर के बिना तेला से बनी पापड़ियाँ”।"
},
{
"title": "अख़मीरी पापड़ियाँ",
"body": "रोटी के छोटे टुकड़े।"
},
{
"title": "उन बलियों के अन्नबलि और अर्घ; ये सब चढ़ावे समीप ले जाए।",
"body": "शब्‍द “उनका” मतलब उस परसाद से है जि नाजीर आदमी को लाने के लिए कहा गया।अकसर अन्‍य प्रसादो के साथ आनाज का प्रसाद और पेय के प्रसाद की भी जरुरत होती है।"
}
]