hi_ezk_tn/40/22.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामान्‍य जानकारी।",
"body": "यहेजकेल मंदिर की दिखावट और कांस्य की तरह दिखने वाले आदमी के सव्‍पन का वर्णन करना जारी रखता है।"
},
{
"title": "इसकी भी खिड़कियाँ।",
"body": "शब्द \"इसकी\" फाटक को दर्शाता है जो बाहरी आँगन के उत्तर में था।"
},
{
"title": "इसकी भी खिड़कियों और खम्भों के ओसारे और खजूरों की माप पूर्वमुखी फाटक की सी थी।",
"body": "फाटक पर उनकी तरह थे जो पूर्व की तरफ थे।"
},
{
"title": "भीतरी आँगन।",
"body": "यहाँ लोग पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत् कर रहे थे।"
},
{
"title": "उत्तरी फाटकों के सामने।",
"body": "सीधे उत्तर की ओर स्थित फाटक से \"या\" उत्तर द्वार से बाहरी आँगन के पार। "
},
{
"title": "पूर्व की ओर दूसरे फाटकों के सामने।",
"body": "जिस तरह पूर्व की ओर वाले द्वार के सामने भीतरी आँगन का द्वार था।"
},
{
"title": "फाटकों के सामने फाटक थे।",
"body": "उत्तर की ओर बाहरी फाटक से उत्तर की ओर के अनंदर वाले फाटक तक।"
},
{
"title": "हाथ।",
"body": "ये लंबे हाथ थे, जो एक नियमित हाथ की लंबाई के साथ साथ एक अंगुल से बने ।"
},
{
"title": "सौ हाथ।",
"body": "लगभग चौवन मीटर।"
}
]