hi_ezk_tn/40/17.txt

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Plaintext

[
{
"title": " बाहरी आँगन।",
"body": "करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आँगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर* के बोलने का सा शब्द था।"
},
{
"title": "फर्श।",
"body": "एक समतल भूमि जो चट्टानों से बनी होती है।"
},
{
"title": "जिस पर तीस कोठरियाँ बनी थीं।",
"body": " और फर्श के चारों तरफ तीस कमरे थे।"
},
{
"title": "से लेकर।",
"body": "सरी तरफ से लेकर।"
},
{
"title": "सौ हाथ।",
"body": "लगभग चौबीस मीटर।"
},
{
"title": "हाथ।",
"body": "ये लंबे हाथ थे, जो एक नियमित हाथ की लंबाई के साथ साथ एक अंगुल से बने ।"
}
]