hi_ezk_tn/33/10.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामान्‍य जानकारी।",
"body": "यहोवा लगातार यहेजकेल को इस्राएलियों के लिए संदेश देता रहा।"
},
{
"title": "इस्राएल का घराना।",
"body": "इस्राएली लोगो का झुंड।"
},
{
"title": "तुम लोग कहते हो।",
"body": " यह वह है जो तुमने कहाँ।"
},
{
"title": "हमारे अपराधों और पापों का भार हमारे ऊपर लदा हुआ है।",
"body": "संभावित अर्थ यह है, कि वे अपने आप को अपने अपराधों और पापों के लिए दोषी मानते हैं “या“ 2) उन्हें एहसास होता है कि यहोवा उन्हें उनके अपराधों और पापों के लिए दंडित करता हैं।"
},
{
"title": "हम उसके कारण नाश हुए जाते हैं।",
"body": "वे हमें नष्ट कर रहे हैं \"या\" वे हमें मार रहे हैं।"
},
{
"title": "उसके कारण।",
"body": "इसका अर्थ यह है कि लोग जानते है की परमेश्‍वर उन्‍हे माफ नही करेगा। उन्‍ही के कारण।"
},
{
"title": "हम कैसे जीवित रहें?",
"body": " हमें जीने की कोई उम्मीद नहीं है \"या\" हम ज़रूर मर जाएंगे।"
},
{
"title": "मेरे जीवन की सौगन्ध।",
"body": "निश्चित रूप से जैसा मैं रहता हूँ।"
},
{
"title": "परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है।",
"body": "यहोवा अपने बारे में ऐसे बोल रहा है जैसे वह कोई अन्‍य व्यक्ति हो। मैं, प्रभु यहोवा, यह घोषणा कर रहा हूं।"
},
{
"title": "यदि दुष्ट अपने मार्ग से फिरे।",
"body": "यदि दुष्ट बुड़े काम करने बन्‍द कर दे।"
},
{
"title": "तुम क्यों मरो?",
"body": "यहोवा इस प्रशन का उपयोग इस बात पर जोर देने के लिए करता है वह नही चाहता की इस्राएल के लोग मरे। मृत्यु को मत चुनो।"
}
]