hi_ezk_tn/26/01.txt

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Plaintext

[
{
"title": "ग्यारहवें वर्ष में।",
"body": "राजा यहोयाकीन के राज्‍य में से निकाले जाने के ग्यारहवें वर्ष में।"
},
{
"title": "पहले महीने के पहले दिन।",
"body": "यह अनिश्चित है कि यहेजकेल यहुदियों के कैलेंडर के किस महीने की बात कर रहा है।"
},
{
"title": "यहोवा का वचन पहुँचा।",
"body": "यहोवा का वचन ज़ोर से पहुचा।"
},
{
"title": "मनुष्य के सन्तान।",
"body": "इनसान का पुत्र या मानवता का पुत्र। परमेश्‍वर ने यहेयकेल को बुलाया कि वह इस बात पर जोर दे कि वह एक इनसान है। परमेश्‍वर सरवसक्‍तिमान और हमेशा के लिए है लेकिन मनुष्‍य नही। मनुष्‍य।"
},
{
"title": "सोर ने जो यरूशलेम के विषय में कहा है।",
"body": " सोर के लोगों ने यरूशलेम के लोगों के खिलाफ कहा है।"
},
{
"title": "अहा।",
"body": " हाँ “या” बहुत अच्‍छा।"
},
{
"title": "लोगों के फाटक नाश हो गए।",
"body": " सेनाओं ने लोगों के द्वार तोड़ दिए। “या” सेनाओं ने यरूशलेम को नष्ट कर दिया, जो कि फाटकों की तरह था जिसके माध्यम से कई देशों के लोग गुजरते थे।"
},
{
"title": "मैं भरपूर हो जाऊँगा।",
"body": " मैं सफल होऊंगा।"
},
{
"title": "वह नाश हो गई",
"body": "यरूशलेम बर्बाद हो गया है।"
}
]