hi_ecc_tn/09/11.txt

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Plaintext

[
{
"title": "वे सब समय और संयोग के वश में है।",
"body": "“जो हुवा और कब हुवा उन सभी को प्रभावित करता है “"
},
{
"title": " सब संयोग के वश में है।",
"body": "यहाँ शब्द \"वे सभी\" जाति, लड़ाई, रोटी, धन और एहसान को दर्शाते हैं।"
},
{
"title": " जैसे मछलियाँ ... चिड़ियें ... जानवर ... वैसे ही मनुष्य",
"body": "मृत्यु मनुष्य को तब पकड़ती है जब उसे इसकी उम्मीद नहीं होती है, जैसे लोग जानवरों को पकड़ते हैं जब वे इसकी उम्मीद नहीं करते हैं।"
},
{
"title": " दुःखदाई समय में जो उन पर अचानक आ पड़ता है, फंस जाते हैं।",
"body": "संभावित अर्थ 1) \"बुरी परिस्थितियों में जो अचानक उनके साथ होता है\" या 2) \"मौत से जो अचानक उन्हें ओवरटेक करता है।\""
}
]