hi_deu_tn/33/18.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामान्य जानकारी",
"body": "मुसा इस्राएल के कबोलों को आशिष देना जारी रखता है।वह छोटी कविताओं के रूप में आशिषें बोलता है। वह लगातार जबूलून और इस्साकार के गोत्रों का वर्णन जारी रखता है मानो वे एक मनुष्य थे इसलिए शब्द तुम्हारा और आदेश आनन्दित यहाँ एक वचन है।"
},
{
"title": "हे जबूलून, तू बाहर निकलते समय, और हे इस्साकार, तू अपने डेरों में आनन्द करे",
"body": "जबूलून के लोग भूमध्य सागर के पास स्थित थे वे समिद्र के द्वारा यात्रा करके अन्य लोगों के साथ व्यापार करते थे। इस्साकार के लोग शान्तिपूर्ण रहना और भुमि पर काम करना और मवेशियों को पालना पसन्द करते थे।"
},
{
"title": "वे वहाँ धर्मयज्ञ करेंगे",
"body": "यह वहाँ अर्पन करेंगे।"
},
{
"title": "धर्मयज्ञ करेंगे",
"body": "ग्रहणयोग्य बलिदान।"
},
{
"title": "वे समुद्र का धन, और रेत में छिपे हुए अनमोल पदार्थ से लाभ उठाएँगे",
"body": "संभावित अर्थ है वे समुद्र के पार लोगों के साथ व्यापार करेंगे यां वे मिट्टी के बर्तन बनाने में रेत का उपयोग करेंगे।"
},
{
"title": "क्योंकि वे समुद्र का लाभ उठाएँगे",
"body": "इसका अर्थ है कि लोग समुद्र से धन प्राप्त करेंगे जैसे एक बच्चे को अपनी माँ से दूध मिलता है।"
}
]