hi_2ki_tn/06/30.txt

26 lines
1.7 KiB
Plaintext

[
{
"title": "उस स्त्री की ये बातें सुनते ही",
"body": "सुनकर स्त्री ने बताया कि उसने और दूसरी स्त्री ने क्या किया था।"
},
{
"title": "राजा ने अपने वस्त्र फाड़े ",
"body": "उन्होंने दु:ख में अपने कपड़े फाड़े।"
},
{
"title": "वह तो शहरपनाह पर टहल रहा था",
"body": "वह शहर की दीवार पर चल रहा था जब औरत उसे अब में बाहर बुलाया वह इसके साथ चलना जारी रखा।"
},
{
"title": "तब उनको यह देख पड़ा कि वह भीतर अपनी देह पर टाट पहने है। ",
"body": "वह अपने बाहरी बागे के नीचे टाट का कपड़ा पहने हुए था कयोंकि वह बहुत परेशान था।"
},
{
"title": "तो परमेश्‍वर मेरे साथ ऐसा ही वरन् इससे भी अधिक करे।",
"body": "परमेश्‍वर मुझे मार और मुझे सजा दे।"
},
{
"title": "यदि मैं शापात के पुत्र एलीशा का सिर आज उसके धड़ पर रहने दूँ,",
"body": "अगर आज मेरे सिपाही शापात के पुत्र एलीशा का सिर धड़ से अलग न कर दें"
}
]