hi_2ki_tn/22/17.txt

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Plaintext

[
{
"title": "सामन्‍य जानकारी",
"body": "यहोवा ने यह संदेश राजा जोशियाह को हलदा नबी दासी के द्वारा भेजा।"
},
{
"title": "मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़केगी और फिर शान्त न होगी।",
"body": "“मेरा करोध इस स्‍थान के विरुध एक आग के समान है जिसको बुझाया नही जा सकता”"
},
{
"title": "इस स्थान ",
"body": "“यह लोग”"
},
{
"title": " इसलिए कि तू वे बातें सुनकर ",
"body": "“उस संदेश के विषय में जो तुमने सुना था”"
},
{
"title": "इसलिए कि तू दीन हुआ, ",
"body": "“इस लिऐ की तुमने अपनी गलती को मान लिया”"
},
{
"title": "लोग चकित होंगे, और श्राप दिया करेंगे",
"body": "“कि, मैं उनको श्रापित करूँगा और देश को उजाड़ बना दूँगां”"
},
{
"title": "अपने वस्त्र फाड़कर ",
"body": "“यह वाक्‍यांश उदासी और निराशा को दर्शाता है”"
},
{
"title": "यहोवा की यही वाणी है।",
"body": "”यह वही है जो मैं कहता हुँ”"
}
]