hi_2ki_tn/05/26.txt

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[
{
"title": "जब वह पुरुष इधर मुँह फेरकर तुझ से मिलने को अपने रथ पर से उतरा?",
"body": "गहेजी खुद को एलीशा का नोकर करके दर्शाता है। नामान रथ बंद करता हुआ कह रहा है कि आपको एहसास होना चाहिए कि मेरी आत्मा आपको देख सकती है।"
},
{
"title": "दाख की बारियाँ, भेड़-बकरियाँ, गाय बैल और दास-दासी लेने का है?",
"body": "“यह पैसे स्वीकार करने का अर्थ नही है…महिला ने कहाँ”।"
},
{
"title": "नामान का कोढ़ तुझे और तेरे वंश को सदा लगा रहेगा",
"body": "तुम्हे और तुम्हारे वंश्‍जो को कोढ़ होगा जैसे कि नामान को है।"
},
{
"title": "तो गहेजी उसके सामने से चला गया",
"body": "“जब गहेजी कमरे से बाहर निकला तो वह वहाँ से चला गया था”।"
},
{
"title": "हिम सा श्वेत",
"body": "“उसका माँस बर्फ के सामान सफेद हो गया”।"
}
]