hi_2ch_tn/06/18.txt

26 lines
2.2 KiB
Plaintext

[
{
"title": "परन्तु क्या परमेश्‍वर सचमुच मनुष्यों के संग पृथ्वी पर वास करेगा?",
"body": "“लेकिन परमेश्‍वर, निश्चित रूप से तुम असल में पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ नहीं रहेंगे“।"
},
{
"title": "सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, ",
"body": "कोई भी परमेश्के‍वर के लिए एक भवन बनाने में सक्षम नहीं है क्योंकि कोई भी इसे शामिल नहीं कर सकता।मैं कोई भी नहीं हूं केवल एक व्यक्ति जो उसे बलिदान दे सकता हूं”।(2:6)"
},
{
"title": "गिड़गिड़ाहट और प्रार्थना सुन",
"body": "यह शब्द “गिड़गिड़ाहट” और “प्राथना” एक ही अर्थ साझा करते है कि “कृपया मेरे बयानों का जवाब दे”।"
},
{
"title": "तेरी आँखें इस भवन की ओर, रात-दिन खुली रहें",
"body": "“कृपया उन लोगों की मदद करें जो तेरे भवन में किसी भी समय आते है– दिन या रात\"।"
},
{
"title": "जिसके विषय में तूने कहा है कि मैं उसमें अपना नाम रखूँगा",
"body": "“यहाँ तुम ने कहा था कि तुम लोगों को जानते हो”।"
},
{
"title": "जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले",
"body": "अनुवादक भवन की ओर प्राथना करता है।"
}
]