hi_1ki_tn/08/27.txt

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Plaintext

[
{
"title": "“क्या परमेश्‍वर सचमुच पृथ्वी पर वास करेगा,?",
"body": "“पर यह निश्चित रूप से नही है की परमेश्‍वर सचमुच पृथ्वी पर वास करेगा“"
},
{
"title": "क्या परमेश्‍वर",
"body": "“क्या तुम”"
},
{
"title": "वरन् ",
"body": "“सच तो यह है”"
},
{
"title": "तू, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में कैसे समाएगा।",
"body": "“तु, तो यह मेरा बनाया हुआ भवन निश्चित रूप से नही“"
},
{
"title": "अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर कान लगाकर",
"body": "“मेरी ओर कान लगा, तेरा दास, मैं यह प्रार्थना करता हुंँ”"
},
{
"title": "मेरी चिल्लाहट और यह प्रार्थना सुन! जो मैं आज तेरे सामने कर रहा हूँ;",
"body": "“मेरी सुन, तेरा दास, जो मेरी मदद करने के लिए तेरी दुहाई देता है”।"
}
]