hi_1ch_tn/21/13.txt

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Plaintext

[
{
"title": "मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ",
"body": "“मैं एक बहुत बड़ी मुसीबत मे हूँ”।"
},
{
"title": "मैं यहोवा के हाथ में पड़ूँ, क्योंकि उसकी दया बहुत बड़ी है; परन्तु मनुष्य के हाथ में मुझे पड़ना न पड़े",
"body": "“मुझे यहोवा के नियंत्र में आने दो, बजाय लोगों के नियंत्र के, यहोवा बहुत दयालु है“।"
},
{
"title": "और सत्तर हजार पुरुष मर मिटे",
"body": "“और 70,000 लोग की मृत्यृ‍ हुई”।"
},
{
"title": "मुझे पड़ना न पड़े",
"body": "तो उसने अपना फैसला बदल लिया।"
},
{
"title": "अपना हाथ खींच ले",
"body": "यहोवा दूत को लोगों को नाश कर–कर मारने से रोक देते है।"
},
{
"title": "यहोवा का दूत पास खड़ा था",
"body": "यहोवा के दूत एक पुरुष के पास खड़ा दिखाई देता है"
},
{
"title": "ओर्नान",
"body": "यह एक पुरुष का नाम है।"
}
]