hi_1ch_tn/19/01.txt

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Plaintext

[
{
"title": "नाहाश… हानून",
"body": "यह पुरुषों के नाम है।"
},
{
"title": "मुझ पर प्रीति दिखाई थी… दिखाऊँगा",
"body": "“मैं दयालु रहुंगा… दयालु था”।"
},
{
"title": "शान्‍ति",
"body": "“आराम”।"
},
{
"title": "दाऊद ने जो तेरे पास शान्ति देनेवाले भेजे हैं, वह क्या तेरी समझ में तेरे पिता का आदर करने की मनसा से भेजे हैं? ",
"body": "“तुम्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि दाऊद तुम्हारे पिता का आदर कर रहा है क्योंकि उसने आदमियों को तुम्हें दिलासा देने के लिए भेजा है“।"
},
{
"title": " क्या उसके कर्मचारी इसी मनसा से तेरे पास नहीं आए, कि ढूँढ़-ढाँढ़ करें और नष्ट करें, और देश का भेद लें?”",
"body": "निक्ष्चित रूप से उनके सेवक भूमि को उखाड़ फेंकने के लिए तुम्‍हारे पास आते है।"
}
]