hi_1ch_tn/17/16.txt

30 lines
2.3 KiB
Plaintext

[
{
"title": "कहने लगा",
"body": "“दाऊद ने कहा”।"
},
{
"title": "हे यहोवा परमेश्‍वर! मैं क्या हूँ? और मेरा घराना क्या है? कि तूने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है?",
"body": "दाऊद इस सवाल करते हुए कहता है कि परमेश्‍वर ने उसे आशीर्वाद देने के लिए चुना है। यहाँ तक कि वह इसके लायक नही है।"
},
{
"title": " छोटी सी बात हुई",
"body": "ये कुछ है जो महत्वपूर्ण नहीं है परन्‍तू इसे छोटे होने के रूप में वर्णित किया है।"
},
{
"title": "तेरी दृष्टि में",
"body": "यहोवा की द्रष्टि में उसकी समझ कों दर्शाती है कि “तुझ को”।"
},
{
"title": "दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है?",
"body": "दाऊद इस सवाल का इस्तेमाल यह ज़ाहिर करने के लिए करता है कि वह परमेश्‍वर के लिए अपनी शुक्रगुज़ारी ज़ाहिर नहीं कर सकता। कि “अगर मैं अपना धन्‍यावाद अधिक व्यक्त कर सकता हूँ तो मैं करूंगा, लेकिन मैं नहीं जानता कि मुझे और क्या कहना है“।"
},
{
"title": "तो अपने दास को",
"body": "दाऊद खुद को यहोवा का नौकर बताता है।"
},
{
"title": "उसके विषय दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? तू तो अपने दास को जानता है।",
"body": "इन दोनों वाक्‍यांशों के एक ही अर्थ है।"
}
]