[ { "title": "झाँझ", "body": "दो पतली, गोल धातु प्लेटों को एक साथ मारते रहने से है एक जोर से ध्वनि जो ध्‍वनि निकलती है।(13:7)" }, { "title": "यदूतून… हेमान", "body": "“याजक”।(16:40)" }, { "title": "गिनती दो सौ अट्ठासी ", "body": "“288 पुरुष थे”।" }, { "title": "क्या गुरु, क्या चेला, अपनी-अपनी बारी के लिये चिट्ठी डाली।", "body": "यह सीमाओं का वर्णन करती है कि उन सभी को”।" } ]