From c9eb3c254853a6d9b3b27b62e25901c808a511a6 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Fri, 29 Nov 2024 10:56:08 +0530 Subject: [PATCH] Fri Nov 29 2024 10:56:08 GMT+0530 (India Standard Time) --- 20/31.txt | 1 + 20/33.txt | 1 + 20/36.txt | 1 + 3 files changed, 3 insertions(+) create mode 100644 20/31.txt create mode 100644 20/33.txt create mode 100644 20/36.txt diff --git a/20/31.txt b/20/31.txt new file mode 100644 index 0000000..3c325a1 --- /dev/null +++ b/20/31.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 31 इसलिए जागते रहो, और स्मरण करो कि मैंने तीन वर्ष तक रात दिन आँसू बहा-बहाकर, हर एक को चितौनी देना न छोड़ा। \v 32 और अब मैं तुम्हें परमेश्‍वर को, और उसके अनुग्रह के वचन को सौंप देता हूँ; जो तुम्हारी उन्नति कर सकता है, और सब पवित्र किये गये लोगों में सहभागी होकर विरासत दे सकता है। \ No newline at end of file diff --git a/20/33.txt b/20/33.txt new file mode 100644 index 0000000..0dbf747 --- /dev/null +++ b/20/33.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 33 मैंने किसी के चाँदी, सोने या कपड़े का लालच नहीं किया। (1 शमू. 12:3) \v 34 तुम आप ही जानते हो कि इन्हीं हाथों ने मेरी और मेरे साथियों की ज़रूरतें पूरी की। \v 35 मैंने तुम्हें सब कुछ करके दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्भालना, और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उसने आप ही कहा है: ‘लेने से देना धन्य है’।” \ No newline at end of file diff --git a/20/36.txt b/20/36.txt new file mode 100644 index 0000000..bb3a681 --- /dev/null +++ b/20/36.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 36 यह कहकर उसने घुटने टेके और उन सब के साथ प्रार्थना की। \v 37 तब वे सब बहुत रोए और पौलुस के गले लिपट कर उसे चूमने लगे। \v 38 वे विशेष करके इस बात का शोक करते थे, जो उसने कही थी, कि तुम मेरा मुँह फिर न देखोगे। और उन्होंने उसे जहाज तक पहुँचा दिया। \ No newline at end of file