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\v 29 अब हे प्रभु, उनकी धमकियों को देख; और अपने दासों को यह वरदान दे कि तेरा वचन बड़े साहस से सुनाएँ, \v 30 और चंगा करने के लिये तू अपना हाथ बढ़ा कि चिन्ह और अद्भुत काम तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम से किए जाएँ।” \v 31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया*, और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और परमेश्‍वर का वचन साहस से सुनाते रहे।
\v 29 अब हे प्रभु, उनकी धमकियों को देख; और अपने दासों को यह वरदान दे कि तेरा वचन बड़े साहस से सुनाएँ, \v 30 और चंगा करने के लिये तू अपना हाथ बढ़ा कि चिन्ह और अद्भुत काम तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम से किए जाएँ।” \v 31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया*, और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और परमेश्‍वर का वचन साहस से सुनाते रहे।
विश्वासियों का सहयोगी

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\v 9 पतरस ने उससे कहा, “यह क्या बात है, कि तुम दोनों प्रभु के आत्मा की परीक्षा के लिए एक साथ सहमत हो गए? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएँगे।” \v 10 तब वह तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी, और दम तोड़ दिया; और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास दफ़ना दिया। \v 11 और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुननेवालों पर, बड़ा भय छा गया।
\v 9 पतरस ने उससे कहा, “यह क्या बात है, कि तुम दोनों प्रभु के आत्मा की परीक्षा के लिए एक साथ सहमत हो गए? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएँगे।” \v 10 तब वह तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी, और दम तोड़ दिया; और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास दफ़ना दिया। \v 11 और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुननेवालों पर, बड़ा भय छा गया।
प्रेरितों द्वारा चिन्ह और चमत्कार

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\v 14 और विश्वास करनेवाले बहुत सारे पुरुष और स्त्रियाँ प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे*, \v 15 यहाँ तक कि लोग बीमारों को सड़कों पर ला-लाकर, खाटों और खटोलों पर लिटा देते थे, कि जब पतरस आए, तो उसकी छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए। \v 16 और यरूशलेम के आस-पास के नगरों से भी बहुत लोग बीमारों और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुओं को ला-लाकर, इकट्ठे होते थे, और सब अच्छे कर दिए जाते थे।
\v 14 और विश्वास करनेवाले बहुत सारे पुरुष और स्त्रियाँ प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे*, \v 15 यहाँ तक कि लोग बीमारों को सड़कों पर ला-लाकर, खाटों और खटोलों पर लिटा देते थे, कि जब पतरस आए, तो उसकी छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए। \v 16 और यरूशलेम के आस-पास के नगरों से भी बहुत लोग बीमारों और अशुद्ध आत्माओं के सताए हुओं को ला-लाकर, इकट्ठे होते थे, और सब अच्छे कर दिए जाते थे।
प्रेरितों को बन्दीगृह में डालना

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\v 7 और परमेश्‍वर का वचन फैलता गया* और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई; और याजकों का एक बड़ा समाज विश्वास के अधीन हो गया।
\v 7 और परमेश्‍वर का वचन फैलता गया* और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई; और याजकों का एक बड़ा समाज विश्वास के अधीन हो गया।
स्तिफनुस की गिरफ्तारी

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\v 51 “हे हठीले, और मन और कान के खतनारहित लोगों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो। जैसा तुम्हारे पूर्वज करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो। (निर्ग. 32:9, निर्ग. 33:3-5, लैव्य. 26:41, गिन. 27:14, यशा. 63:10, यिर्म. 6:10, यिर्म. 9:26) \v 52 भविष्यद्वक्ताओं में से किसको तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं सताया? और उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो धर्मी के आने से पहिले प्रगट हुए थे, मार डाला; और अब तुम भी उसके पकड़वानेवाले और हत्यारे हो, (2 इति. 36:16) \v 53 तुम ने स्वर्गदूतों के द्वारा ठहराई हुई व्यवस्था तो पाई, परन्तु उस पर चले नहीं।”
\v 51 “हे हठीले, और मन और कान के खतनारहित लोगों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो। जैसा तुम्हारे पूर्वज करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो। (निर्ग. 32:9, निर्ग. 33:3-5, लैव्य. 26:41, गिन. 27:14, यशा. 63:10, यिर्म. 6:10, यिर्म. 9:26) \v 52 भविष्यद्वक्ताओं में से किसको तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं सताया? और उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो धर्मी के आने से पहिले प्रगट हुए थे, मार डाला; और अब तुम भी उसके पकड़वानेवाले और हत्यारे हो, (2 इति. 36:16) \v 53 तुम ने स्वर्गदूतों के द्वारा ठहराई हुई व्यवस्था तो पाई, परन्तु उस पर चले नहीं।”
स्तिफनुस की हत्या

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"04-23",
"04-26",
"04-27",
"04-29",
"04-32",
"04-34",
"04-36",
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"05-01",
"05-03",
"05-07",
"05-09",
"05-12",
"05-14",
"05-17",
"05-19",
"05-22",
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"06-01",
"06-02",
"06-05",
"06-07",
"06-08",
"06-10",
"06-12",
@ -131,7 +127,6 @@
"07-43",
"07-44",
"07-47",
"07-51",
"07-54",
"07-57",
"07-59",