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\v 29 अब हे प्रभु, उनकी धमकियों को देख; और अपने दासों को यह वरदान दे कि तेरा वचन बड़े साहस से सुनाएँ, 30 और चंगा करने के लिये तू अपना हाथ बढ़ा कि चिन्ह और अद्भुत काम तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम से किए जाएँ।” 31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया*, और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और परमेश्वर का वचन साहस से सुनाते रहे।
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\v 29 अब हे प्रभु, उनकी धमकियों को देख; और अपने दासों को यह वरदान दे कि तेरा वचन बड़े साहस से सुनाएँ, \v 30 और चंगा करने के लिये तू अपना हाथ बढ़ा कि चिन्ह और अद्भुत काम तेरे पवित्र सेवक यीशु के नाम से किए जाएँ।” \v 31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया*, और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और परमेश्वर का वचन साहस से सुनाते रहे।
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\v 32 और विश्वास करनेवालों की मण्डली एक आत्मा और एक मन के थे, यहाँ तक कि कोई भी अपनी सम्पत्ति अपनी नहीं कहता था, परन्तु सब कुछ साझे का था। \v 33 और प्रेरित बड़ी सामर्थ्य से प्रभु यीशु के जी उठने की गवाही देते रहे और उन सब पर बड़ा अनुग्रह था।
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\v 34 उनमें से कोई भी ऐसा नहीं था जिसे किसी चीज़ की कमी हो, क्योंकि जिन लोगों के पास ज़मीन या घर थे, वे उन्हें बेच दिया करते थे और बेची गई चीज़ों से मिलने वाला पैसा लाकर \v 35 प्रेरितों के पैरों पर रख दिया करते थे और हर एक को उसकी ज़रूरत के हिसाब से बाँट दिया जाता था।
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\v 36 और यूसुफ नामक, साइप्रस का एक लेवी था जिसका नाम प्रेरितों ने बरनबास अर्थात् (शान्ति का पुत्र) रखा था, \v 37 उसकी कुछ ज़मीन थी, जिसे उसने बेचा, और दाम के रुपये लाकर प्रेरितों के पाँवों पर रख दिए।
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\c 5 \v 1 हनन्याह नामक एक मनुष्य, और उसकी पत्नी सफीरा ने कुछ ज़मीन बेची। \v 2 और उसके दाम में से कुछ भाग रख लिया; और यह बात उसकी पत्नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्रेरितों के पाँवों के आगे रख दिया।
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\v 3 परन्तु पतरस ने कहा, “हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और ज़मीन के दाम में से कुछ भाग रख ले ? \v 4 जब तक वह तेरे पास रही, क्या तेरी न थी? और जब बिक गई तो क्या तेरे वश में न थी? तूने यह बात अपने मन में क्यों सोची? तूने मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से झूठ बोला है।” \v 5 ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा*, और दम तोड़ दिया; और सब सुननेवालों पर बड़ा भय छा गया। \v 6 तब जवानों ने उठकर उसे लपेटा, और बाहर ले जाकर दफ़ना दिया।।
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"04-29",
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"04-32",
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"04-34",
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"04-36",
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"05-01",
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