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\v 11 पेन सेवकाहान तियुहू आखनु मुर्खपणा होय लाग्यो आण तियाहाय तियुहूप विश्वास नाहा केयो, \v 12 पेन पेत्र उठ्यो आण कबरू होवे धवळयो तियाय एठा कुनकिन वेयो वेप तियाले तागा वेटालला पोतडा शिवाय कायज देखा यो नाहा, जो वेलो हाय ति गोठीम तो स्वत:ज तियाल नोवाय किन तो दुर गियो, |