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\v 50 जे तिया भिख राखते है तियापे तिया दया (कृपा) कायम हाय (पिढ्यानपिढ्या) \v 51 तिया हाता की सामर्थी कामे केले आथे जो घंमण्डी (अभिमानी) अंतकरना आही तियाहान वरे विखेर कि यके