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\v 25 ताहां दिही चांद आन चांदुलीहीम निशाण्या देखायी आन पोरतीवेने बादा देशाहांवे संकट आवी आन दोऱ्यो डाखरी उठी तियाकी बादें माअहे काबराय जाय \v 26 आन दुन्याम आवनारा संकटाहा की काबरायन लोक मोअसा होच वी जाय, काहाका जुगामेने सोकतीहीन आलवी दी