mai-x-thethi_php_text_ulb/03/17.txt

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\v 17 भाइसब हो हमर देखासिकि करेबाला हमसबमे आहासब पाएल उदारहरण अनुसार चलेबाला सब ध्यान देके देखु । \v 18 ऊ बहुत आदमीसब जेकरा विषयमे हम तोहनीसबके बारम्बार बतइले रहली और अब आँख के लोर के साथ हम बतारहल छी । ताकि ऊ सब मशिहके क्रुसके दुश्‍मन जैसे चलरहल हई । \v 19 उ सबके विनाश निश्‍चित हई । कइला कि ओकनी सबके इश्‍वर उ सबके पेट हई और ओकनी सब शर्ममे ओकनीसब के घमण्ड हई । ओकनी सब संसारके चिजके बारेमे बिचार करीछई ।