mai-x-thethi_php_text_ulb/03/08.txt

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\v 8 एतने न बलकि हम अपन प्रभु, मशिह येशूके जान लेनाई हि सबसे सर्वश्रेष्ठ लाभ मानी छी जेकरा तुलनामे बाली सब बात के हानी बुझी छी ।हम उनका लेल सब कुछ त्याग देले छी जेई से हम ई लाभ उठाबी छी ताकी मशिह के हासिल कर सकि । \v 9 और उनकामे स्थापित हो सकि व्यवस्था से हम अपने प्राप्‍त कइल धर्मिकता हमरा पास न हई बरु मशिह येशू मे विश्‍वासके द्धारा प्राप्‍त कइल धर्मिकता विश्‍वासमे अधारित परमेश्‍वर से हम प्राप्‍त कइल छी । \v 10 अइके कारण उनका और उनका पुनरुत्थान के शक्तिके जानेके चाहिछी और उनका कष्‍टसबमे सहभागी होएके चाहे छी । उनका समरुपतामे हम बदलेके चाहिछी । \v 11 ताकि हम मरल से पुनरुत्थान के कोई किसिमसे अनुभव कर सकि ।