Wed May 25 2022 21:16:52 GMT+0545 (Nepal Time)
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\v 19 हमर प्रिय भाई सब, आहा सब भी जनैछी कि सब आदमी सुनेमे जल्दी, बोलेमे देर और खिसियाएमे धिमा होए । \v 20 किएक त आदमीके पित परमेश्वरके धर्किकताके काम न करई छै । \v 21 ताइके लेल पापमय और घिन लागेवाला चिज और दुष्टताके हटादे और परमेश्वरके देल वचनके धारण कर जे तोरासबके प्राण बचाएत ।
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\v 22 अपने आपके धोका देके वचन सुनेवाला मात्रे न बल्कि पालन करेवाला बन् । \v 23 यदि कोई आदमी वचन सुनेवाला मात्रे हई लेकिन पालन करेवाला नहई त उ ऐनामे अपन स्वभाविक चेहरा देखेवाला आदमी जेहन हि हई । \v 24 उ अपना आपके देखै छै और चल जाइछै आ उ केहन आदमी हई से बिसर जाई छै । \v 25 लेकिन सुनके बिसुरता होएवाला आदमी मात्रे नहोके स्वतन्त्रताके सिद्ध नियमके पालन करके निरन्तर ओहिने पालन करेवाला ब्यक्ति उ अपन सब काजमे आशिषित होई छै ।
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\v 26 यदि कोई आदमी अपना आपके धार्मिक समझई छै लेकिन उ अपन जिवपर लगाम न लगावै छै त उ अपन हृदयके धोका देईछै और ओकर धर्म बेकार हो जाईछै । \v 27 परमेश्वर और पिताके सामने निष्कलंक धर्म ईहे है कि, अनाथ और विधवाके दुःखमे सहयाता करु और अपना आपके संसारके नजरमे निष्कलंक राखु ।
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अध्याय २
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"01-09",
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"01-12",
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"01-14",
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"01-17"
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"01-17",
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"01-19",
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"01-22",
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"01-26"
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