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\v 18 लेकिन तैयो कोई येना कहतई “तोहरा लअ बिश्वास हई और हमरा लअ काम हई” । काम बिनाके तोहर सबके बिशवास हमरा देखो और हम अपन कामसे हमर बिश्वास तोहरा सबके देखबौ । \v 19 परमेश्वर एगो मात्र हई कहके तुसब बिश्वास करइछे, यि तुसब निक करइछे । लेकिन भुत–प्रेत सब सेहो बिश्वास करइछै, और थर–थर कांपइछै । \v 20 मुर्ख आदमीसब, कि तुसब यि जाने चाहइछे कि बिश्वास बिनाके काम व्यर्थ होइछै

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\v 21 हमरा सबके पुर्खा अब्राहम अपन बेटा इसाहकके जब वेदीपर अर्पण करलकई, त कि अपना कामके द्वारा हि उ धर्मी न ठहराएल गेल रहई कि \v 22 तुसब देखइछे, उनकर कामसबके साथे बिश्वास कार्य कएले रहई आ कामके द्वारा हि उनकर बिश्वास पूर्ण भेलई । \v 23 धर्मशास्त्रके यि कहल वचन पुरा होलई जे, “अव्राहम परमेश्वर पर बिश्वास करलकई और उ चिज उनका लागि धार्मिकता गनल गेलई” । \v 24 तुसब देखइछे, कि कामके द्वारा आदमी धर्मी ठहराएल जाइछै, केवल बिश्वासद्वारा न ।

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\v 25 ओही तरहसे राहाब वेश्या भि जब गुप्तचर सबके स्वागत करके दोसर रास्तासे भेज देलक, तब उ कामद्वारा हि धर्मी न ठहराएल गेलई कि \v 26 जेना आत्मासे शरिर अलग होएलापर मर जाइछै, ओही तरह कामसे अलग होएलापर बिश्वास मर जाइछै ।

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\c 3 \v1 हमर भाईसब, बहुत कोई शिक्षक न बनेके चाही । हमसबके यि जानेके चाही कि, हमरा सबके इन्साफ और जादा कडा होतई । \v2 कएलाकि हमसब बहुत किसिमके भुल करइछी । यदि कोई अपना बोलिमे भुल न करइछै, त उ पूर्णरुपसे परिपक्व आदमी हई, आ उ अपना सारा नियन्त्रणमे करे सकइछै, ।

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अध्याय ३

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