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\v 32 \v 31 सबहे प्रकार के तिताबातसब क्रोध, तामस, झगडा, दोसरके बेजत केनाई और दुष्‍ट भावनाके आहांसब त्याइग दु । एक दोसर के लेल दयालु बनु । एक दोसरके लेल कृपालु बनु । जहिना मशिहमे परमेश्‍वर आहांसबके क्षमा केलकै ओहिना अहूसब एक दोसरके क्षमा करु ।
\v 31 सबहे प्रकार के तिताबातसब क्रोध, तामस, झगडा, दोसरके बेजत केनाई और दुष्‍ट भावनाके आहांसब त्याइग दु । \v 32 एक दोसर के लेल दयालु बनु । एक दोसरके लेल कृपालु बनु । जहिना मशिहमे परमेश्‍वर आहांसबके क्षमा केलकै ओहिना अहूसब एक दोसरके क्षमा करु ।

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\c 5 \v 1 ऐ दुवारे परमेश्‍वरके प्रिय बेटाबेटी सब जाका ओकर देखा सिरवी करू । \v 2 आ मशिह अपना सबके प्रेम कक जेना अपनेके अपना सबके लेल बलि कअ देलकै ओहिना आहांसब प्रेममे चलू । परमेश्‍वरके लेल बनिया सुगन्ध दियबाला बनि आ वासना हुव के लेल ओ एकटा भेटी और बली रहै ।

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\v 3 जेना विश्‍वासीसबके लेल सही होइछै, आहांसबके बिचमे व्यभिचार, आ कोनो प्रकारके गन्दा काम आ लोभके बारेमे नामो नै लु । \v 4 ने त गन्दा बात, ने त मूर्खैय बोली, ने त अपमान करबाला मजाक होय जे बात सब उचित नै है । बल्की धन्यवाद दिय बाला काम होब क चाही ।

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\v 5 कैलाकी आहांसब यी पक्का रुप सअ जाइन लू कि कोनो व्यभिचारी कि अशुद्ध आदमी आ लोभ करबाला आदमीके मशिह आ परमेश्‍वरके राजमे हिस्सा नैय होतै । लोभ केनाई मुर्ति पुजा केनाई बराबर है । \v 6 आहांसबके कोय भि बिना काम के बात सब सअ धोखा नैय दैय । अही बात सबके खातिर आज्ञा नैय मान बाला सबके उपर परमेश्‍वरके क्रोध अबै है । \v 7 अही कारण सअ ओकरा सब जरे आहांसब सहभागी नै होउ ।

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अध्याय ५

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